Kisi Se Apni Baat Manwane Ki Dua

यदि आप किसी से अपनी जायज़ बात मनवाना चाहते है तो इसके लिए हम आपको बीवी से अपनी बात मनवाने की दुआ और दुश्मन से अपनी बात मनवाने की दुआ बता रहे है. इसके अलावा हम आपको माँ बाप से अपनी बात मनवाने की दुआ भी बता रहे है.

यह अमल उन लोगों के लिए है जो अपनी जायज़ बातों को मनवाना चाहते हैं।इस अमल को हर कोई कर सकता है इस अमल को हर मां बाप भाई बहन लड़का लड़की सभी को इजाजत है।वजीफा अपने जायज़ मकसद के लिए किया जाता है।

हमें हमेशा अपनी जायज मकसद को हासिल करने के लिए करना चाहिए।यह वजीफा हमारी हर परेशानियों को दूर करता है दफा करता है।इसीलिए हमें वजीफे को सिर्फ और सिर्फ अपने नेक कामों के लिए ही करना चाहिए। इस वजीफे को करने के लिए कुछ शरारत मौजूद है जिसको हमें बहुत ही इतेहात के साथ करना है।

और हमें वजीफे के दौरान रिज्क हलाल खाना चाहिए,हमें पूरी पाबंदी के साथ नमाज़ पढ़नी चाहिए।और जब हम वजीफे को शुरू करें तो अपने दिल को यकीन से तरोताजा करें।किसी से अपनी बात मनवाने का अमल अपनी बातें मनवाना हो वह कोई भी इंसान हो सकता है।

चाहे वह आपकी खुद की औलाद हो, आपके मां-बाप हो, आपके दोस्त, रिश्तेदार हो, आपके घर वाले हो, भाई-बहन, आपके पड़ोसी हो,दूर के रिश्तेदार वगैरा अगर आपके जहन में या दिल में कोई जायज़ बात है।जिसको आप उनसे मनवाना चाहते है।

इस वजीफे को बिना किसी हिचकिचाहट के कर सकते हैं।वजीफे के लिए आपको सुरः फातर की आयत नंबर 22 की तिलावत करनी है।15 बार और एक एक बार शुरू और आखिर में आप दरूदे पाक जरूर से पढ़ ले।

वजीफा करते वक्त उस इंसान का तसव्वर करें जब भी आप उस शख्स से अपनी बात मनवाना चाहते हो।तो उसके पास जाने से पहले 15 बार इस आयत को पढ़कर हल्के से दम कर ले।इंशा अल्लाह बहुत ही कामयाब अमल है।

शोहर और बीवी दोनों ही अमल कर सकते हैं दोनों ही को इस अमल को करने की इजाजत है।शौहर अपनी बीवी की आदत से बहुत ज्यादा परेशान रहते है।उनकी बीवी किसी भी हाल से उनकी बात मानने को तैयार नहीं होती है।शौहर को तंग करती रहती है अपनी ही बात को आला दर्जे पर रखती है।

जिसकी वजह से कई बार शौहर को बहुत गुस्सा आ जाता है घर में बहुत सारी लड़ाइयां और झगड़े दोनों होते हैं।बात नहीं मानती है तो घर परिवार मां बाप से लड़ाया होना शुरू हो जाती है।कई बुरे हालात पैदा होते हैं बेवजह के।

यह अमल उन शौहर के हालात को दुरुस्त करने के लिए है जो अपनी बीवी से बात मनवाना चाहते हैं बीवी भी इससे अपने शौहर की बात मनवा सकती है दोनों के लिए अमल बहुत ही मुफीद है।अमल की शुरुआत के लिए आपको सबसे पहले 11 बार दरूद इब्राहिमी नमाज वाला पढ़ना है।

उसके बाद आप एक सौ मर्तबा सूरह इखलास पढ़े।सूरह इखलास कुरआन शरीफ के तीसरे पारे में सबसे आखरी में मौजूद है।तिलावत करने के लिए आप जरूर से ताजबि रख ले।ताकि अमल के बीच में कोई भूल चूक ना हो।

قل هو الله احد الله الصمد ليل لخ ول ول يلن له كفاحة

बिस्मिल्लाह शरीफ के साथ।फिर अपने दोनों हाथ दुआ के लिए उठाकर अपने मकसद के लिए दुआ करें।इंशाल्लाह आप जरूर कामयाब होगी।अगर आप इस अमल को कायम रखना चाहते हैं। तो रख सकती हैं आप अपने मन मुताबिक इस अमल को इंशाल्लाह आप के हक में बेहतर होगा।

यह दुआ कुरान शरीफ की आयत की है।जो आपको अपने अमल में लेना है।हर इंसान के एक नहीं बल्कि कई तरह के दुश्मन होते हैं दुश्मन का मुंह बंद करने बात मनवाने के लिए कुरानी अमल आप बेफिक्र होकर कर सकते हैं।

इस अमल से ना आप सिर्फ एक इंसान के बल्कि कहीं इंसान जो आपके आसपास इर्द-गिर्द मौजूद रहते हैं जो आप पर निशाना सांधे रहते हैं।आप उनकी जुबान बंद कर सकते है। यह अमल बहुत लंबा नहीं है सिर्फ और सिर्फ 7 दिन का बेहतरीन अमल है।

आप को बिना नागा किए करना है आप खुद देखेंगे जैसे जैसे अमल को शुरू करेंगे वैसे ही दूसरी तरफ इस अमल का असर होते हुए भी खुद ही देखेंगे।जुबान बंदी के लिए आपको दो सूरः की एतमाद करनी है।

सूरह फील और सूरह कुरैश,पहले आपको सूरह फील की तिलावत करनी है और दूसरी बार कुरैश की सुरह फील बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम अलम तारा कैफा फआला रब्बुका बि अस्हाबिल फील आलम राज अल कैदा हुम फी तद्लील व अर्सला अलैहिम तयरन अबाबील तरमीहीम बि हिदी रतिम्मिन्सिज्जील फ़ अलहम क् अस्फिम्मा कूल।

وا نو الرحمن الريس ويلف قريش ؟ الفهم رحلة الشتاء والصيف ليعبدوا رب هذا البيت جو د وامه من خوف

दोनों सुरह को पढ़ने से पहले दरूद शरीफ पढ़ लीजिए।जब भी आप आपने वक्त से फ्री हो दो बार दिन में इस नायाब अमल को जरूर करें।यह नायाब अमल ज़ुबान बंद कर देगा।आप के दुश्मन की सारी गलत बातें बंद हो जाएगी।आप उससे अपनी तमाम जायस बातों को आसानी से मनवा लेंगे।

जैसा कि हमारे अल्लाह रब्बुल इज्जत ने फरमाया है कि मां के कदमों के नीचे जन्नत है।अल्लाह ने फरमाया जन्नत मां के कदमों के तले मौजूद हैं। तुम मां को राजी कर जन्नत को पा सकते हो मां की खिदमत कर तुम जन्नत के हिस्सेदार बन सकते हो।बाप की दुआ बेटे के लिए इस तरह से जैसे हमारे नबी की दुआ अपने उम्मती के लिए होती है।

बाप वो साया है जो अपने औलाद को छांव देता है हर तूफान और बारिश हर परेशानी दुनिया आफत से महफूज रखता है।इसीलिए जिंदगी में मां-बाप दोनों की अहमियत बहुत है और इन दोनों का मुकाबला कोई भी नहीं कर सकता है।इनकी अहमियत की कमी को कोई भी इंसान हो पूरा नहीं कर सकता है।मां बाप से अपनी बात मनवाने का यह तरीका है कि अपने मां बाप को अपने खिदमत से राजी कर ले।

उनसे बेहद मोहब्बत करें उनकी बातों की फरमाबरदार करें।तो वह आपके हर लफ्ज़ हर बात को मानेंगे।आप कसरत के साथ नमाज की पाबंदी के साथ आयते करीमा को पढ़ें।इलाहा इल्ला अंता सुभानाका इन्नी कुंटू मिनाज जालिमीन।

आप इस आयत को हर नमाज के बाद पढ़ते रहे।आप इसको मुसलसल अपनी जबान पर कायम रखें। इस आयत की बहुत सारी फजीलत है ला जवाब और अहमियत रखती है।और दुआओं के लिए हाथ उठाएं अल्लाह जिस तरह से हमारे मां-बाप ने हमारी परवरिश कि आप के जरिए।

उसी तरह से अल्लाह तो हमारे मां-बाप को बख्श दे उन पर रहम करें।इस तरह से अपने मां बाप के लिए हमेशा दुआ किया करें इंशाल्लाह हर कदम आपका बेहतर होगा।

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